क्या आपने कभी सोचा है कि एक बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश गए किसी व्यक्ति की जिंदगी अचानक जेल की सलाखों के पीछे कैसे कैद हो सकती है? भारतीय नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) की कहानी कुछ ऐसी ही है। केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया यमन की जेल में मौत की सज़ा का सामना कर रही हैं, और उनकी रिहाई के लिए देश-विदेश में लगातार प्रयास जारी हैं। यह सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि हजारों भारतीयों की आपबीती है जो विदेशों में अनिश्चित परिस्थितियों में फंसे हुए हैं।
निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर अवसरों की तलाश में यमन गई थीं। 2017 में उन पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा और 2020 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई। निमिषा का कहना है कि महदी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। अपने बचाव में, उन्होंने उसे बेहोश करने की कोशिश की, ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सकें, लेकिन अनजाने में ओवरडोज के कारण महदी की मौत हो गई।
निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) का मामला: क्यों है इतना जटिल?
निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) का मामला कई मायनों में जटिल है:
- कूटनीतिक चुनौतियां: यमन की राजधानी सना, जहां निमिषा को कैद किया गया है, ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। भारत के हूती प्रशासन के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, जिससे सीधे हस्तक्षेप में कठिनाई आती है।
- शरिया कानून: यमन में शरिया कानून लागू होता है। इस कानून के तहत, पीड़ित के परिवार को “ब्लड मनी” (दियाह) देकर दोषी को माफ़ किया जा सकता है। यही निमिषा की रिहाई का एकमात्र रास्ता है। हालांकि, तलाल अब्दो महदी का परिवार अभी भी दियाह स्वीकार करने से इनकार कर रहा है और न्याय पर अड़ा हुआ है।
- युद्धग्रस्त क्षेत्र: यमन एक युद्धग्रस्त देश है, जहां यात्रा प्रतिबंध हैं। ऐसे में निमिषा के परिवार या उनसे जुड़े लोगों का वहां तक पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि वे इस संवेदनशील मामले में हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। इसमें कानूनी सहायता, वकील की नियुक्ति, और नियमित कांसुलर दौरे शामिल हैं। भारतीय अधिकारी हूती प्रशासन और क्षेत्र के कुछ “मित्र देशों” के संपर्क में भी हैं जो इस मामले में मध्यस्थता कर सकते हैं।
हाल ही में, 16 जुलाई 2025 को निमिषा की फांसी की सज़ा को स्थगित कर दिया गया है, जिससे उनके समर्थकों को कुछ राहत मिली है। यह प्रयास भारतीय और यमनी धार्मिक नेताओं, विशेष रूप से प्रभावशाली सुन्नी धर्मगुरु कंथापुरम ए पी अबूबाकर मुसलियार के हस्तक्षेप से सफल हो पाया है, जिन्होंने यमनी इस्लामी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हफीज से महदी के परिवार को “ब्लड मनी” स्वीकार करने के लिए राजी करने का अनुरोध किया है।
निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) की रिहाई के लिए प्रयास
निमिषा (Nimisha Priya) की रिहाई के लिए “सेव निमिषा प्रिया” (Save Nimisha Priya) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय अभियान समूह सक्रिय है। यह समूह शरिया कानून के तहत आवश्यक “ब्लड मनी” जुटाने का काम कर रहा है। जून 2024 तक लगभग $40,000 जुटाए गए थे और इसका आधा हिस्सा सना में भारतीय दूतावास को हस्तांतरित कर दिया गया था। अब तक लगभग $58,000 जुटाए जा चुके हैं।
भारत सरकार और अन्य संगठन:
- कानूनी सहायता और वकील प्रदान किए गए हैं।
- नियमित कांसुलर दौरे आयोजित किए जा रहे हैं।
- स्थानीय अधिकारियों और परिवार के सदस्यों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।
- “ब्लड मनी” के भुगतान के लिए बातचीत जारी है।
यमन में भारतीय: एक व्यापक मुद्दा
निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) का मामला अकेला नहीं है। यमन जैसे युद्धग्रस्त और अस्थिर देशों में कई भारतीय नागरिक रोजगार की तलाश में जाते हैं और कई बार मुश्किलों में फंस जाते हैं। यमन में भारतीय समुदाय 19वीं सदी से मौजूद है, जिनमें से कई लोग व्यापार और नर्सिंग जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं।
यमन में भारतीय नागरिकों के सामने आने वाली चुनौतियाँ:
- सुरक्षा जोखिम और युद्धग्रस्त स्थितियाँ।
- कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता और स्थानीय कानूनों की समझ की कमी।
- संभावित शोषण और दुर्व्यवहार।
जैसा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने बताया है, हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत महत्वपूर्ण है, जिसमें काउंसलर सहायता का अधिकार भी शामिल है।
Read in English: Nimisha Priya Execution Postponed: A Tale of Abuse, Justice, and Diplomatic Hope
आगे की राह और हमारी भूमिका
निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) की रिहाई के लिए उम्मीद अभी भी कायम है, भले ही महदी का परिवार “ब्लड मनी” लेने से इनकार कर रहा हो। उनकी फांसी की सज़ा का स्थगन एक सकारात्मक कदम है, जो कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों को जारी रखने का अवसर देता है।
आप क्या कर सकते हैं?
- जागरूकता फैलाएं: इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताएं।
- समर्थन करें: “सेव निमिषा प्रिया” जैसे अभियानों को अपना समर्थन दें।
- सावधानी बरतें: विदेशों में नौकरी या व्यवसाय के अवसरों की तलाश करते समय सभी कानूनी पहलुओं और सुरक्षा जोखिमों को ध्यान से समझें।
यह आवश्यक है कि हम निमिषा प्रिया और ऐसे अन्य भारतीयों के लिए अपनी आवाज उठाएं जो विदेशों में संकट में हैं। एकजुट प्रयास ही उनकी आशा की किरण बन सकते हैं।