हाल ही में हुए घटनाक्रमों के बाद, देश का राजनीतिक गलियारा इस सवाल से गूंज रहा है: कौन बनेगा देश का अगला उपराष्ट्रपति? मौजूदा उपराष्ट्रपति के अचानक इस्तीफे के बाद, इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी इंडिया ब्लॉक दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस महत्वपूर्ण पद की दौड़ में कई बड़े नाम सामने आ रहे थे, लेकिन अब दो नए नामों ने इस रेस को और भी दिलचस्प बना दिया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव: क्या है जीत का गणित?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इसमें मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं। मौजूदा समय में, संसद के कुल 786 सदस्य हैं, जिसका मतलब है कि जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को 394 वोटों की जरूरत होगी।
- NDA की स्थिति: सत्ताधारी NDA के पास लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर लगभग 422 सांसदों का समर्थन है।
- विपक्ष की स्थिति: विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास लगभग 219 सांसदों का समर्थन है।
इन आंकड़ों को देखते हुए, यह साफ है कि NDA के उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालाँकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारता है या नहीं।
रेस में शामिल हुए 2 नए नाम
उपराष्ट्रपति पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही थी, लेकिन अब दो प्रमुख नाम तेजी से उभरे हैं:
- मनोज सिन्हा: जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम सबसे आगे चल रहा है। एक अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में, उन्हें प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों का गहरा अनुभव है। उनकी छवि एक ईमानदार और प्रभावी प्रशासक की रही है, जो उन्हें NDA के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
- आरिफ मोहम्मद खान: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम भी चर्चा में है। एक प्रख्यात विद्वान और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में, उनकी पहचान एक ऐसे नेता के रूप में है जो सामाजिक सुधारों और आधुनिक विचारों का समर्थन करते हैं। उनका नाम एक ऐसा संदेश देगा जो समावेशिता और प्रगतिशील सोच को दर्शाता है।
अन्य संभावित उम्मीदवार और सियासी समीकरण
इन दो नए नामों के अलावा, कुछ अन्य नाम भी अभी भी चर्चा में हैं:
- किरेन रिजिजू: पूर्व कानून मंत्री के रूप में उनका अनुभव और उत्तर-पूर्व से उनका प्रतिनिधित्व एक मजबूत पहलू है।
- प्रकाश जावड़ेकर: एक अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में उनकी सादगी और संगठनात्मक क्षमता उन्हें एक अच्छा विकल्प बनाती है।
पार्टी के भीतर यह मंथन चल रहा है कि क्या किसी अनुभवी नेता को मौका दिया जाए या फिर किसी नए चेहरे को आगे लाया जाए जो भविष्य की राजनीति के लिए एक मजबूत संकेत दे सके। साल 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने अपने उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 346 वोटों के भारी अंतर से जीत दिलाई थी, जो यह दर्शाता है कि सत्ताधारी पार्टी की पकड़ मजबूत है।
क्या है NDA की रणनीति?
NDA की रणनीति कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वे सिर्फ जीत सुनिश्चित नहीं करना चाहते, बल्कि एक ऐसा उम्मीदवार चुनना चाहते हैं जो:
- पार्टी के संगठनात्मक और वैचारिक मूल्यों को दर्शाता हो।
- सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह सम्मान प्राप्त कर सके।
- आगे चलकर पार्टी के बड़े प्लान में फिट हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे उम्मीदवार के नाम पर अंतिम फैसला लें। यह दर्शाता है कि यह निर्णय कितना महत्वपूर्ण है और पार्टी की भविष्य की दिशा को कैसे प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष और आगे की राह
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तारीख 9 सितंबर तय की गई है। अगले कुछ दिनों में, NDA अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी किसी अनुभवी चेहरे को चुनती है या किसी ऐसे उम्मीदवार पर दांव लगाती है जो सियासी समीकरणों को और भी मजबूत कर सके। भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा, इसका ऐलान जल्द ही होगा, और यह न केवल संसद के लिए बल्कि देश की राजनीतिक दिशा के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।